Author Topic: Reservation in admission for higher studies stopped  (Read 1064 times)

October 28, 2015, 05:28:37 PM
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Baljit

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राष्ट्रहित में उच्च शिक्षा संस्थानों में आरक्षण खत्म करें : Supreme Court
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि राष्ट्रहित में अब यह जरूरी हो गया है कि उच्च शिक्षण संस्थानों से आरक्षण खत्म कर दिया जाए। कोर्ट ने कहा कि देश की आजादी के 68 साल बाद भी वंचितों की हालत जस की तस है। शीर्ष कोर्ट ने कहा कि केंद्र सरकार इस संबंध में सकारात्मक कदम उठाए।
सुप्रीम कोर्ट ने यह टिप्पणी आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और तमिलनाडु राज्यों में सुपर स्पेशयलिटी कोर्सेस में एडमिशन के मानकों को चुनौती देने वाली याचिकाओं के फैसले के दौरान कही है। जस्टिस दीपक मिश्रा और जस्टिस पीसी पंत की बेंच ने कहा कि सुपर स्पेशयलिटी कोर्सेस में एडमिशन के मानदंड बनाने के लिए केंद्र और राज्यों को कई बार याद दिलाया गया, लेकिन हालात नहीं बदले। उच्च शिक्षण संस्थानों में रिजर्वेशन को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने कहा,''वास्तव में कोई आरक्षण नहीं होना चाहिए।'' यह देश के हित में है कि उच्च शिक्षा में सुधार के लिए कदम जल्द उठाया जाए।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उसे उम्मीद और विश्वास है कि केंद्र और राज्य सरकारें इस मुद्दे पर बिना देरी के गंभीरता से विचार करते हुए उचित दिशा-निर्देश देने की ओर कदम उठाएंगी।
SC का निर्देश, राष्ट्र हित के लिए खत्म करें उच्‍च शिक्षा में आरक्षणसुप्रीम कोर्ट ने मे‌‌डिकल के सुपर स्पेशएलिटी कोर्सेज में आरक्षण समाप्त करने का निर्देश दिया है।

केंद्र और सभी राज्य सरकारों को दिए निर्देश में सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि सुपर स्पेशएलिटी मेडिकल कोर्सेज को 'अनारक्षित, मुक्त और अबाध' रखा जाए। कई राज्य केवल अधिवासी (स्‍थानीय निवासी) एमबीबीएस डॉक्टरों को ही सुपर स्पेशएलिटी कोर्सेज की प्रवेश परीक्षाओं में बैठने की इजाजत देते हैं, सु्प्रीम कोर्ट ने इसी शिकायत के मद्देनजर ये निर्देश दिया है।

जस्टिस दीपक मिश्रा और पीसी पंत की पीठ ने कहा कि ऐसे पाठ्यक्रमों में जाति, धर्म, निवास या किसी अन्य आधार पर आरक्षण नहीं दिया जाना चाहिए। एक अन्य केस, डॉ प्रदीप जैन बनाम भारत सरकार, जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था कि सुपर स्पेशएलिटी मेडिकल कोर्सेज में प्रवेश का एक मात्र तकाजा मेरिट ही होगी, का हवाला देते हुए दो जजों की पीट ने कहा कि केंद्र सरकार ने उस निर्देश को क्रियान्वित करने के लिए अब तक न कोई नियम बनाया न कोई ‌दिशानिर्देश तय किए।इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट की दो जजों की बेंच ने अपने फैसले में कहा कि राष्ट्रीय हित के लिए ये आवश्यक है कि उच्च शिक्षण संस्‍थानों में सभी प्रकार के आरक्षण समाप्त कर दिए जाएं। सर्वोच्च अदालत ने केंद्र सरकार को तटस्‍थ और प्रभावशाली कदम उठाने का निर्देश दिया।

उल्लेखनीय है कि मुल्क में इन द‌िनों आरक्षण पर बहस छिड़ी हुई है। आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत आरक्षण कानून की समीक्षा की मांग कर चुके हैं, जबकि कई राजनीतिक दल आरक्षण के पक्ष में खड़े हैं।

जजों की पीठ ने अपने फैसले में कहा कि आाजादी के 68 सालों बाद भी 'विशेषाधिकार' में कोई परिवर्तन नहीं आया है। केंद्र और राज्य सरकारों को यथास्थिति में बदलाव करने और मेरिट को सुपर स्पेशएलिटी कोर्सेज में एक मात्र मानदंड बनाने के लिए कई बार ताकीद की गई, लेकिन आरक्षण व्यवस्‍था में अब तक कोई बदलाव नहीं आया।जस्टिस मिश्रा ने अपनी टिप्पणी में कहा, 'डॉ प्रदीप जैन के केस में इसी अदालत ने कहा था कि सुपर स्पेशएलिट कोर्सेज में वास्तव में कोई आरक्षण नहीं होना चाहिए। उच्‍च शिक्षा का स्तर सुधारने के लिए ये आवश्यक है, और फलस्वरूप उपलब्ध मे‌डिकल सेवाओं में सुधार के लिए भी आवश्यक है।'

फैसले में जजों ने कहा कि उन्हें उम्मीद और विश्वास है कि भारत सरकार और राज्य सरकारें बिना विलंब के इस पहलू पर गंभीरता से विचार करेंगी और सुपर स्पेशएलिटी कोर्सेज को 'अनारक्षित, मुक्त और अबाध' रखने के उद्देश्य से इंडियन मेडिकल काउंसिल उचित दिशानिर्देश तैयार करेगी।

कोर्ट ने एमबीबीएस डॉक्टरों द्वारा दा‌खिल की गई एक याचिका पर ये फैसला दिया। डॉक्टरों ने याचिका में कहा था कि भारत के अधिकांश हिस्सों में वे 'डॉक्टर ऑफ मेडिसिन' और 'मास्टर ऑफ सर्जरी' जैसे कोर्सेज की प्रवेश परिक्षाओं में बैठ सकते हैं, लेकिन आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, और तमिलनाडु केवल स्‍थानीय निवासी डॉक्टरों की ही इजाजत देते हैं। उन्होंने कहा था कि इन राज्यों के निवासी डॉक्टर दूसरे राज्यों की परीक्षाओं में तो बैठ सकते हैं, लेकिन दूसरे राज्यों के निवासी डॉक्टर इन राज्यों में नहीं बैठ सकते हैं
« Last Edit: October 29, 2015, 02:14:02 PM by NABHA »

October 28, 2015, 10:14:54 PM
Reply #1

vineysharma68

  • Guest
Rashtar Hit Sarvopari arthat Reservation must be like a help not a sop at every stage. Had any body thought what would be the plight of those who deserve but not selected?
 

October 29, 2015, 09:20:23 AM
Reply #2

Baljit

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